tag:blogger.com,1999:blog-8120460498908442145.post3915822847321700995..comments2023-03-03T18:15:11.529+05:30Comments on राकेश शर्मा: आचर्य रजनीश की जुबानीrakeshindore.blogspot.comhttp://www.blogger.com/profile/00101607870965525887noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-8120460498908442145.post-68744386177214283642010-05-09T22:37:18.224+05:302010-05-09T22:37:18.224+05:30गहन चिंतनगहन चिंतनप्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8120460498908442145.post-46881733810999710912010-05-05T10:28:03.331+05:302010-05-05T10:28:03.331+05:30राकेश भाई ,
आशो की बहुत अच्छी कथा का
चयन आपने किय...राकेश भाई ,<br />आशो की बहुत अच्छी कथा का <br />चयन आपने किया है ।<br />कई बार निराशा दूर करने के लिये ऐसी ही <br />कथाओं से प्रेरणा मिलती है ।<br />ओशो का साहित्य तो अनुपम है<br />यदि आप चाहें तो आपका ब्लाग इससे<br />ही समृद्ध बना रह सकता है ।<br />लेकिन अच्छा हो कि आप आशो पर एक अलग ही ब्लाग <br />रचें ।Jawahar choudhary https://www.blogger.com/profile/17378541906452685183noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8120460498908442145.post-45144576279641198042010-05-01T15:01:35.855+05:302010-05-01T15:01:35.855+05:30प्रिय शर्मा जी आपकी चन्द्रसेन विराट की पुस्तक पर स...प्रिय शर्मा जी आपकी चन्द्रसेन विराट की पुस्तक पर समीक्षा पढी ,बहुत अच्छी लगी पुस्तक के वारे मे जानकारी देने का धन्यबाद । आपके सारे लेख पढना है । शुरु शुरु मे मुझे एसा लगा था कि शायद आपने लिखना बन्द कर दिया है इसीलिये इसलिये मै नियमित पाठक नही रह सका मुझे याद है दिसम्बर २००८ को इन्दोर मे आपसे टेलीफ़ोन पर चर्चा हुई थी आपके ८ दिसम्बर के लेख वाबत फिर शायद २००९ में मै बराबर देखता रहा ,पांच जनवरी और ११ मार्च के दो लेख देखे परन्तु शायद आपसे चर्चा नही हो पाई इसके बाद नियमित देखता रहा और आपके लेख नही मिले ।और आज जब आपका ब्लोग खोला तो लगा मै इन दिनों एक अच्छा साहित्य पढने से बंचित रहा ।पहले तो आपके पूरे लेख पढ लूं आजकल नरसिंहगढ मे डेरा डाले हुये है जहां १२ घन्टा लाइट की कटोती होती है और अक्सर इन्टर्नेट का सरवर भी गड्बड करता रहता है ।ओशो को भी पढा ,गहन चिन्तन है ,बहुत गहराई है ,मुझे भी इनको पढने का शौक है पहले तो ओशो टाइम्स और ओशो वर्ल्ड कभी कभी पढ लिया करता था आज कल तो उनसे भी महरूम हूंBrijmohanShrivastavahttps://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.com