हिंदी के कालजयी रचनाकार सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन अज्ञेय ने दो ऐतिहासिक यात्राएं संपन्न करवाई थीं. पहली यारा " जानकी" थी. दूसरी यात्रा "भागवत भूमि यात्रा" थी. अज्ञेय ने अकेले ही जिन यात्राओं को पूरा किया था उनके नाम हैं "अरे यायावर रहेगा याद" और "एक बूँद सहसा उछली". भागवत भूमि यात्रा में अज्ञेय के साथ हिंदी के ग्यारह बड़े रचनाकार सहयात्री थे - मानिकलाल चतुर्वेद, विद्यानिवास मिश्र, भगवतीशरण सिंह] मुकुंद लाठ, रमेश चन्द्र शाह, इला डालमिया, विष्णु कान्त शास्त्री, नरेश मेहता, रघुवीर चोधरी, जडावलाल मेहता. अभी हाल ही में इस यात्रा का विस्तृत विवरण ख्यात आलोचक डॉ. कृष्ण दत्त पालीवाल ने "भागवत भूमि यात्रा" पुस्तक में संपादित किया है. इंदौर में इस पुस्तक पर चर्चा आयोजित हुई. इस पुस्तक चर्चा में शहर के अनेक रचनाकाओं ने भाग लिया - चैतन्य त्रिवेदी, डॉ. जवाहर चौधरी , चन्द्रभान भारद्वाज,विकास दवे, हरेराम वाजपयी, रामचंद्र सौचे, नंदकिशोर वर्वे, रामचंद्र अवस्थी, गिरेन्द्र सिंह भदौरिया , अरविन्द जावलेकर, सुधीन्द्र कमलापुर, मोहन रावल, श्रीमती नियति सप्रे, सुख देव सिंह कश्यप, वसंत सिंह जोहरी, नारायण प्रसाद शुक्ला, इसहाक असर और श्याम दांगी.रचनाकारों नें माना कि यात्राएं लेखन कर्म को गहराई देती हैं .जन और जीवन की समझ यात्राओं सी पैदा होती है . भक्ति काल के सभी कवि निरंतर यात्रों पर रहते थे परिणाम स्वरुप उनकी रचनाओं में मानव ही नहीं बल्कि पूरी कायनात का दुःख- सुख बोलता है .और इसी लिए आज भी वे सब पूरी तरह प्रासंगिक हैं . शायद अज्ञेय भी रहनाकारों को इसी उदेश्य से देश के विभिन्न प्रान्तों की यात्रा करवाना चाहते थे . पुस्तक चचा में भाग लेते हुए सभी ने माना के इस पुस्तक का सम्पादन कर डॉ क्रष्ण दत्त पालीवाल ने हिन्दी साहित्य को अमर क्रति दी है . वास्तव में अनेक सन्दर्भ इस पुस्तक में मौजूद हैं . युगों - युगों की गाथा समझनें के लिए यह पुस्तक हमारी बहुत मदद करती है .
जन्म स्थान नियामतपुर जिला इटावा उत्तर प्रदेश ,
शिक्षा एम. ए. बीएड ,
नौकरी - वरिष्ट अध्यापक हिन्दी बिरला हायर से. स्कूल पिलानी राजस्थान ,
कर्मचारी राज्य बीमा निगम भारत सरकार श्रम मंत्रालय में कार्यरत ,
प्रकाशित पुस्तकें - १- अंतस के स्वर ,२- तुलसी का प्रजान्त्रतिक द्रष्टिकोण ,3- परम्पराओं का विज्ञानं ,४- सम्भ्रमों का संजाल ,५-प्रयोजन मूलक हिन्दी के विविध रूप (सहलेखक), ६- पत्रकारिता प्रशिक्षण (सहलेखक),
संपादन -पत्रिका वीणा (हिन्दी साहित्य की अब तक प्रकाशित सबसे पुरानी पत्रिका ),पत्रिका समसामयिकी समाचार - 1999 से निरंतर ,
पत्रिका 'मालव ज्योति' 1990 से निरंतर ,
आलोचनात्मक लेखन - डॉक्टर रामविलास शर्मा के लेखन व उनकी आलोचनात्मक पुस्तकों पर केंद्रित अब तक 100 आलेख प्रकाशित । वर्तमान में डॉक्टर शर्मा पर केंद्रित पुस्तक का लेखन।
विविध विषयों पर हिन्दी की अनेक पत्र-पत्रिकाओं में आलेख प्रकाशित।
आकाशवाणी, दूरदर्शन, ज्ञानवाणी पर निरंतर आलेख प्रसारित।
विविध विषयों पर अब तक अनेक व्याखान।
निवास - ''मानस निलयम '', M-2, वीणा नगर, इंदौर-452 010 (m.p.)
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