गुरुवार, 3 जून 2010

चितवन फूल पलाश

श्री क्षेत्रपाल शर्मा , भारत सरकार ,श्रम मंत्रालय के अधीन संचालित  एसिक में वरिष्ठ अधिकारी हैं . वे एक अच्छे कवी और लेखक हैं . जैसा की हमारे यहाँ होता है की जिस आदमी को जहां होना चाहिए वह वहां नहीं होता .हिन्दी के अनेक समवेदन शील रचनाकार आजीवका की जुगाड़ में  ही अपनी सारी ऊर्जा खो देते हैं . इससे हिन्दी साहित्य को बहुत हानि हुई है . श्री शर्मा के साथ भी शायद भी ऐसा ही कुछ हुआ प्रतीत होता है ' उनकी कविताओं को देख कर यह साफ़ कहा जा सकता है की उनके पास एक  कवी मन है जो विषम  परिस्थितिओं में भी गुनगुनाता है ,  कविता की बाहं पकड जीवन की डगर चलना चाहता है . इस भीषण आर्थिक समय में आएये , मन की इस सम्वेदना  को बचाए रखने का प्रयत्न करते चलें शायद इसी के सहारे आदमी को मशीन बनने से बचाने में थोड़ी मदद मिल सके .  आज का समाज कविता से भले ही दूर भाग रहा हो परन्तु उसे अंत में शान्ति कविता की गोद में ही मिलेगी  . यह निश्चित है . यहाँ  श्री क्षेत्रपाल शर्मा का गीत दे रहा हूँ  . इसका आस्वाद लें . ----
  हॅंसी तुम्‍हारी चंदा जैसी,                  
चितवन फूल पलाश 1
बातें झरना यथा ओसकण
तारों भरा उजास 11
गुन-गुन भौंरों जैसे गाना,
और शरारत से मुस्‍काना 1
हौले-से, ही हमें चिढ़ाना
वादा कर फिर हाथ न आना 11
चमकाती लेकिन फिर भी हो
एक किरन की आस 11
जो भी दिन है साथ बिताए,
जस फूलों की घाटी में घर
नोंक-झोंक विस्‍मृत-स्‍मृति में,
एक क्षीरमय सुन्‍दर सर
मिलना तुम से तीरथ जैसा,
भूला - बिसरा रास 11


क्षेत्रपाल  शर्मा
-मो . 09711477046

5 टिप्‍पणियां:

honesty project democracy ने कहा…

विचारणीय प्रस्तुती ,सार्थक विवेचना और अभिवयक्ति |

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सुन्दर भावनामय रचना ..

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत उम्दा!! शर्मा जी को प्रणाम!

संगीता पुरी ने कहा…

अच्‍छी रचना !!

Dr. C S Changeriya ने कहा…

क्षेत्रपाल शर्मा

ji ko badhai