
इंदौर शहर कहानीकारों की द्रष्टि से बहुत भरा पूरा है , नई कहानी की द्रष्टी से श्री प्रभु जोशी का नाम सबसे पहले आता है . श्री सूर्यकांत नागर , डॉ सतीस दुबे , डॉ विलास गुप्ते , श्री चेतन्य त्रिवेदी ,उन्नी ,डॉ योगेन्द्र नाथ शुक्ल और राजेन्द्र वामन काटदरे आदि कहानीकार हैं पिछले दिनों श्री राजेन्द्र वामन काटदरे की लघु कथों के संग्रह ' अँधेरे के खिलाफ का विमोचन हुआ , असल में यह समय लघु कथाओं कि द्रष्टि से महत्वपूर्ण है . आज जब आदमी के पास समय का आभाव है . वह कम समय में साहित्य की जानकारी चाहता है ऐसे में उसकी मांग लघु कहानियां ही पूरी करसकती हैं . श्री राजेन्द्र वामन काटदरे की कहानियाँहामारे समय का दस्तावेज हैं . आज से दो दशक बाद यदि कोई हमारे समय के आदमी के जीवन के बारे में जानना चाहेगा तब ये कहानियाँ उसकी बहुत मदद करेंगी . पुस्तक की भूमिका श्री सूर्यकांत नागर नें लिखी है , इस भूमिका में उन्होंने लघु कहानी लेखन की पूरी पड़ताल की है . समय के साथ संवाद करती इन कहानियों का स्वागत किया जाना चाहिए . श्री राजेन्द्र वामन काटदरे ने अपने सहज सुभाव की अनुरूप ही इन कहानियों का ताना बाना बुना है . सीधी सरल भाषा में लिखी गईं ये कहानियां पाठक को सोचने के लिए विवस करती हैं . किसी लेखक का उद्देश्य भी यही होता है कि वह अपने पाठक से कहे कि जो कुछ तुम्हारे आस पास घट रहा है उसमें तुम्हारी भी भूमिका है , एक लघु कथा लेखक के रूप में श्री राजेन्द्र वामां कट दरे सफल लेखक हैं . विमोचन अवसर पर डॉ सरोज कुमार .और श्री श्री राम जोग भी उपस्थित थे , कवि श्री चन्द्र सेन विराट . लघु कथाकार श्री प्रताप सिंह सोडी ; गजल कार श्री चन्द्र भान भार्दुअज , श्री हरे राम बाजपे . श्री प्रदीप नवीन समेत कई रचनाकार उपस्थित थे .
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बाई ओर से श्री चन्द्र भान भारद्वाज , चन्द्र सेन विराट , अंसारी जी एवं प्रताप सिंह सोढ़ी |
पुस्तक ;;;;;; अँधेरे के खिलाफ प्रकाशक ;;;;;;पड़ाव प्रकाशन , h थ्री ,
उद्व मेहता परिसर
नेहरु नगर भोपाल ४६२००८
मूल्य ;;;;;;;; rs १५०