बुधवार, 26 जनवरी 2011

साहित्य , समाज और परिवर्तन की प्रक्रिया ----- अज्ञेय

विगत दिनों अज्ञेय के निवंधों की पुस्तक  साहित्य , संस्कृति और परिवर्तन की प्रक्रिया पर चर्चा आयोजित की गयी . यह पुस्तक सुविखायात आलोचक डॉ कर्षणदत्त पालीवाल ने संपादित की है . मध्य प्रदेश साहित्य आकादमी दुआरा संचालित   पाठक   मंच इंदौर , के तत्वाधान में यह आयूजन सम्प्पन हुआ . हमारे  समाज को समझने  के वैचारिक धरातल पुस्तक में दिए गये हैं . अज्ञेय  के चिंतन को समझने का अवसर पुस्तक देती है . जो लोग अज्ञेय को कला वादी , अर्थ वादी घोषित करते रहे हैं उन्हीं यह पुस्तक जरूर पढनी चाहिए .  आलोचक , चिन्तक , लेखक  विचारक और कवि अज्ञेय के अनेक रूपों को देखने का अवसर पाठक को मिलता है . पुस्तक चचा में डॉ     ओऊम ठाकुर , डॉ पुरूसोतम दुवे , , चन्द्र सेन विराट , चैतन्य  त्रिवेदी , हरे राम वाजपेयी ,प्रदीप नवीन डॉ नियत स्प्रे  , चन्द्र किरण गुप्ता , मोहन रावल, डॉ शशि निगम , शुभाष निगम और  राकेश शर्मा ने भाग  लिया  . सभी ने एक मत से यह स्वीकार किया कि अज्ञेय  भारतीय मनीषा के अमर गायक कवि हैं , उन्हें पशिम का अगेंट कहनें वालों को अज्ञेय के साहित्य को पूर्वाग्रहों से  दूर हट कर विचार करना चाहए .

1 टिप्पणी:

Jawahar choudhary ने कहा…

ये आपने अच्छा किया ।
कार्यक्रम की रपट दिनों तक पटल पर रहेगी ।