शुक्रवार, 25 जून 2010

एक लघु कथा

गाय अपने बछड़े को दूध पिलाने का प्रयास कर रही थी . ममता से भरी वह बछड़े को चाटती .      बछडा दूध पीने की कोशिश भी करता . मालिक ने बछड़े के मुहं पर मुसक बाँध दिया था इस कारण वह दूध पीने में असमर्थ  था .लेकिन  माँ की जिद थी की वह दूध पिए और बच्चे  की कोशिश थी वह कामयाब हो . परन्तु मानवक्रत व्यवधानों के कारण वे सफल न हो पा रहे थे . ममता से भरी वह माँ ना तो  हट रही थी और ना ही  वात्सल्यता से निहाल वह बछडा ही हार मान   रहा था . मैं उन दोनों के इस रूप को देखता रहा और सोचता रहा  की  आज संभ्रांत कहलानी वाली नारी अपने शिशुओं को स्तन पान कराएं ,इसके लिए विज्ञापन छपवाए जा रहे हैं  ,विश्व स्तर पर स्तन पान दिवस मनाया जा रहा है . इसके वाबजूद नारियां अपने सौन्दर्य बनाए रखने के चक्कर  में नव जात शिशुओं को स्तन पान नहीं   कराती . आप विचार करें की सभ्य कौन है ? वह पशु कहलाने वाली गाय या संभ्रांत कहलाने वाली वह नारी जो अपने बच्चों को उसके प्राक्रतिक अधिकार से वंचित रखती हैं . . 

3 टिप्‍पणियां:

प्रदीप कांत ने कहा…

कौन सभ्य है? सवाल अच्छा है।

बेनामी ने कहा…

कभी बाजार में भी निकलो दोस्त ...
हर काउन्टर पर बिक रही है
सभ्यता ...
खरीदो और खेलो ।

aarkay ने कहा…

सभ्य तो शायद नारी ही मानी जाएगी ,परन्तु सवाल ममता या ममत्व का है , जो कि गाए में अधिक प्रतीत होती /होता है.
माँ और मॉम में यही फर्क है. माँ को अपनी फिगर या सौन्दर्य कि चिंता नहीं होती जब कि मॉम को होती है.
माँ तो माँ होती है उसकी बराबरी नहीं हो सकती जब कि .........!