विगत दिनों अज्ञेय के निवंधों की पुस्तक साहित्य , संस्कृति और परिवर्तन की प्रक्रिया पर चर्चा आयोजित की गयी . यह पुस्तक सुविखायात आलोचक डॉ कर्षणदत्त पालीवाल ने संपादित की है . मध्य प्रदेश साहित्य आकादमी दुआरा संचालित पाठक मंच इंदौर , के तत्वाधान में यह आयूजन सम्प्पन हुआ . हमारे समाज को समझने के वैचारिक धरातल पुस्तक में दिए गये हैं . अज्ञेय के चिंतन को समझने का अवसर पुस्तक देती है . जो लोग अज्ञेय को कला वादी , अर्थ वादी घोषित करते रहे हैं उन्हीं यह पुस्तक जरूर पढनी चाहिए . आलोचक , चिन्तक , लेखक विचारक और कवि अज्ञेय के अनेक रूपों को देखने का अवसर पाठक को मिलता है . पुस्तक चचा में डॉ ओऊम ठाकुर , डॉ पुरूसोतम दुवे , , चन्द्र सेन विराट , चैतन्य त्रिवेदी , हरे राम वाजपेयी ,प्रदीप नवीन डॉ नियत स्प्रे , चन्द्र किरण गुप्ता , मोहन रावल, डॉ शशि निगम , शुभाष निगम और राकेश शर्मा ने भाग लिया . सभी ने एक मत से यह स्वीकार किया कि अज्ञेय भारतीय मनीषा के अमर गायक कवि हैं , उन्हें पशिम का अगेंट कहनें वालों को अज्ञेय के साहित्य को पूर्वाग्रहों से दूर हट कर विचार करना चाहए .
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1 टिप्पणी:
ये आपने अच्छा किया ।
कार्यक्रम की रपट दिनों तक पटल पर रहेगी ।
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