कौन नहीं है अर्जुन
किसे नहीं दिखाई पडती
आपनी चिड़िया की आँख
सिद्ध हस्त हैं सभी
सत्ता की द्रोपदी का
वरन करने में
किसे नहीं आती है गीता
कृष्ण की तरहअपने हित में
रोज ही की जा रहीं हैं
द्रोपदियां नग्न
दुशाशनों के हाथो
और कर रहे हैं अभिनय सभी
धरतराष्ट्र की तरह
निश्चित है एक और महाभारत
जो होगा पहले से भीषण
क्योंकि अब
और तो अनेक हैं
भीष्म एक भी नहीं
2 टिप्पणियां:
वाह्……………सही कह दिया।
बहुत सटीक ..वाह
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