शनिवार, 24 अप्रैल 2010

कार्यक्रम रिपोर्टें

विश्व पुस्तक दिवस पर एक सार्थक आयोजन
२३ अप्रैल विलियम शैक्सपियर का जन्म दिन है । इस महान रचनाकार को याद करने के लिए पुस्तक प्रेमी इसे पुस्तक दिवस के रूप में मानते हैं । इंदौर की तीन संस्थाओं स्पर्श ; शाव्दानुभूति ,अहिल्या केंद्रीय पुस्तकालय, शिक्षक संचेतना , और इंदौर संभाग पुस्कालयसंघ ने मिल कर एक आयोजन किया । इस आयोजन में कुछ रचना कारों ,पुस्तक प्रकाशकों , शिक्षकों को सम्मानित किया गया । भारतीय चित्र कला पर श्री नर्मदा प्रसाद उपाध्य का मार्मिक उदबोधनहुआ । श्री नर्मदा प्रसाद उपाध्य सुविख्यात ललित निबंधकार और विश्व प्रशिध कला मर्मज्ञ और एक कुशल प्रसाशक भी हैं । आप भारतीय चित्र कला के बारे में और अधिक जानने के लिए श्री ऊपाध्याय की वेबसैट देख सकते हैं । प्रोजेक्टर की मदद से उन्होंने भारतीय कला के अनेक पक्षों को सामने रखा । एस अवसर पर विख्यात चित्रकार और कहानीकार श्री प्रभु जोशी, श्री ईश्वरी रावल ,मौजूद थे अनेक साहित्यकार जैसे प्रभु त्रिवेदी , नरहरी पटेल ,सदाशिव कौतुक , संदीप रासिनकर,और हरे राम बाजपेयी उपस्थित थे । कार्यक्रम के दो प्रेरणा पुरुष और सूत्रधार थे डॉ जवाहर चौधरी और डॉ जी डी अग्रवाल । सहयोगी आयोजकों में शामिल थे श्री प्रदीप शुक्ल , अनिल ओझा , राकेश शर्मा । उपस्थित जनों ने यह मांग की इस तरह के आयोजन निरंतर होने चाहिए जिससे लोगों में पुस्तकों के प्रति प्रेम बढेगा हो । यह सच है कि आज लोगों का मन अध्ययन से दूर हुआ है इसके लिए प्रयास किये जाएँ। यह बहुत जरूरी काम है । इस अवसर पर कवि मुरलीधर की कविता प्रसंगानुकूल रही इसे आप भी देख लें --- कोई मशीन सोना नहीं उगलती / सोना उगलती हैं किताबें / भीतर भीषण प्रश्न खड़े हैं/ उत्तर उगलती हैं किताबें / नालंदा मिट गया /तक्षशिला शेष नहीं / वह सब कभी था / असल हैं किताबें / जो भी बोया है इतिहास में हमनें /उसी की फसल हैं किताबें --------रिपोर्ट -----राकेश शर्मा

बाएं से दाएं{ऊपर}-श्री रामवरन यदव,श्री मनीष  जैन,सु.श्री मनीशा शर्मा एवं लता बाजपेयी
बाएं से दाएं{नीचे}-डा.पी.डी.अग्रवाल,नर्मदाप्रसाद उपाध्याय,राकेश शर्मा,शुशीला मोतिवाले एवं डा.जवाहर चौधरी ।

3 टिप्‍पणियां:

Jawahar choudhary ने कहा…

राकेश जी ,
विश्व पुस्तक दिवस दरअस्ल 1995 में यूनेस्को के द्वारा घोषित दिवस है ।
इस दिन के लिये उनकी अपेक्षा है कि लोग पुस्तकें पढ़ें, लेखकों को उचित सम्मान मिले और कापी राइट एक्ट के द्वारा उनके हितों की दुनिया भर में रक्षा हो ।
स्पेन में इस दिन के लिये परंपरा है कि लड़का अपनी प्रेयसी को गुलाब का फूल भेंट करता है और बदले में लड़ेकी उसे एक पुस्तक भेंट करती है ।
यह जानना चैंकाने वाला हो सकता है कि केवल इस दिन के लिये स्पेन में लगभग पांच लाख पुस्तकें बिक जातीं हैं जो सालाना बिक्री का 50 प्रतिशत से अधिक होता है ।
हमें प्रार्थना करना होगी कि ईश्वर ऐसे दिन भारत को भी दिखाए ।
आपकी रपट बहुत सारवान है । बधाई ।

Jawahar choudhary ने कहा…

सेटिंग में जा कर वर्ड वेरीफिकेशन हटा दें ।
कमेंट देने वालों को सुविधा होगी
संख्या भी बढ़ेंगी ।

मुकेश कुमार तिवारी ने कहा…

राकेश जी,

बहुत ही अच्छा लग रहा है आपका सक्रिय होना। भईया ऐसे किसी कार्यक्रम की जानकारी तो हम जैसे को भी दी जा सकती है फोन के माध्यम से भी।

अच्छी रिपोर्ट और अंत में एक बहुत ही सार्थक कविता बिल्कुल भोजन के बाद मिश्री की मिठास सी।


सादर,


मुकेश कुमार तिवारी