शनिवार, 19 फ़रवरी 2011

भारतीय मनीषा के अमर गायक कवि श्री नरेश मेहता

१५ फरवरी , सन १९२२ को श्री नरेश मेहता का जन्म मध्य प्रदेश के शाजापुर [मालवा ] में हुआ था . श्री नरेश मेहता की शिक्षा बनारस में हुई . लेखन की  शुरूआत एक कवि के रूप में हुई . बाद में लेखन की दूसरी  विधाओं में आपका मत्वपूर्ण लेखन हुआ था . वे हिन्दी के पांचवें रचनाकार है जिन्हें ज्ञान पीठ पुरस्कार  मिला था . नरेश जी का गद्य दार्शनिक प्रयोगों का सबसे बड़ा उदाहरण है . उनकी दार्शनिकता का आधार भारतीय ऋषियों जैसा है . नरेश मेहता  ने भाषा के स्तर पर अनेक प्रयोग किये थे . उनकी भाषा का स्तर छायावादी कवियों से भिन्न है . उनकी कविता की के स्तर पर कोई दूसरा कवि खडा नहीं होता है . नरेश मेहता को समझने में जितनी सहायता उनकी रचनाएं करती उससे अधिक साहयता महमा मेहता दुवारा लिखित पुस्तक ' उत्सव पुरुष नरेश मेहता ' और नरेश मेहता की जीवनी  ' हम अनिकेतन ' करती हैं . उनके  व्यक्तित्व और क्रातिव को समझने के लिए ये पुस्तकें जरूर पढ़ी जानी चाहिए .नरेश मेहता ने हिन्दी की सेवा के लिए पहले सेना की नौकरी छोडी बाद में आकाशवाणी में प्रोग्राम अधिकारी  का पद छोड़ा . [ यह विवरण उनकी पुस्तक चैत्या के प्रष्ट पर है जो भारतीय ज्ञान पीठ ने प्रकाशित की है ] अनुमान लगाया जासकता है साहित्य के लिए उनका समर्पण किस स्तरका था .श्री नरेश मेहता को याद करने के लिए प्रेम चंद श्रजन पीठ उज्जैन के निदेशक डॉ जगदीश तोमर ने एक आयोजन किया था . इस अवसर पर कवि नरेश जी के लेखन  पर विद्वानों ने प्रकाश डाला .
विचार रखते हुए राकेश  शर्मा

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