बुधवार, 6 अप्रैल 2011

खुले तीसरी आँख

श्री चन्द्रसेन 'विराट ' हिंदी के स्थापित कवि हैं . अब तक उनकी 50 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं . खुले तीसरी आँख अभी हाल ही में प्रकाशित गजल संग्रह है . इस संग्रह में 79 गजलें संग्रहीत हैं , जैसा की इस पुस्तक के शीर्षक से ही अर्थ निकलता है कि कवि 'विराट' का मन आज की परिस्थतियों प्रसन्न नहीं है . वह इसमें व्याप्त स्थितियों से सामना करना चाहता है . पौराणिक संदर्भों के अनुसार तीसरा नेत्र भगवान शंकर के पास है .प्रलय और क्रोध के छनो में वे तीसरा नेत्र खोलते हैं .ऐसा ही  तीसरा नेत्र कवि के पास होता है , इसी के सहारे वह संसार के पूरे सच को देखता आया है . और इसी के सहारे वह अशुभ को जलाता है और पूरे मानवीय समाज के लिए मंगल कामनाएं करता है . कवि विराट चाहते है कि आज के समाज में जो विसंगतियाँ हैं उनके प्रति आक्रोश नहीं रहा , लोग फील गुड में डूबे हुए हैं उनका तीसरा नेत्र खुल  ही नहीं रहा है ,. कवि का मानस लिखता है   विवशता न्याय की देखो कई अपराध करके भी / दिया अपराधियों को यूं /  अभय देखा नही जाता ,' किसी पुस्तक की कसोटी यह भी होती है की रचना कार अपने समय के साथ कैसे जूझता है . कवि विराट के यह पुस्तक हमारे समय के  सबालों से रूबरू होती है . पाठाक के मन में बेचैनी पैदा कर उसे चिंतन के लिए मजबूर करती है =बहुत दुर्दांत निष्ठुर है समय देखा नहीं जाता / न देखा जा सके इतना , एनी देखा नहीं जाता .''
 इस समय में परिवर्तन होना चाहिए यह उदेदश्य है कवि  विराट का . वे मानते हैं कि असम्भव कुछ भी नहीं किवल इच्छा शक्ति चाहिए . यह पुस्तक पाठक  को विचार यात्रा पर ले जाने में पूरी तरह शक्षम है .

पुस्तक --- खुले तीसरी आँख
 कवि ------ चन्द्रसेन विराट
मूल्य -----रु 250
 प्रकाशन -- समान्तर पुब्लिकेशन
 तराना , उज्जैन , मध्य प्रदेश

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