मंगलवार, 5 अप्रैल 2011

समय से सम्वाद करती कविताएँ

तुम कितनी अच्छी हो
गोष्टी का चित्र
नारायण डॉ रवीन्द्रण पहलवान का नया कविता संग्रह 'तुम कितनी अच्छी हो ' अभी हाल ही में प्रकाशित हुआ है . इस संग्रह पर चर्चा   गोष्टी आयोजित हुई . चर्चाकार थे श्री हरे राम वाजपेई, श्री राजेन्द्र वामन काटदरे और राकेश शर्मा . डॉ पहलवान की कविताएँ आकार में  बहुत्त छोटी  हैं , किन्तु उनका अर्थ गम्भीर है . ये कविताएँ हमारे समय के साथ सम्वाद करती है . किसी रचना के मूल्याकन के समय यह तथ्य भी महत्व पूर्ण होता की उस रचनाकार ने अपने समय के साथ न्याय  किया या नहीं .डॉ पहलवान की यह कविता पढ़ें ----चिड़िया /तुम कभी मंदिर /पर बैठती हो/कभी मस्जिद  पर /  कभी गरजे पर / तुमने किसी / आराधना स्थल में / भेद नहीं किया / हमें अभी भी / ठीक से बैठना / सीखना बाकी है ,'' सामाजिक विसंगतियों पर अनेक कविताएँ इस संग्रह में हैं ,हिन्दी के सुधी पाठकों को यह पुस्तक पढ़नी चाहिए .    पुस्तक -- तुम कितनी अच्छी हो , कवि डॉ रवीन्द्र नारायण पहलवान ,   मूल्य --रु 145 ,  प्रकाशक ---- रोटरी क्लब अपटाउन , इंदौर .
डॉ पहलवान व अन्य

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